शातिर वांक्षित पुलिस से भाग रहा था विभिन्न विभिन्न शब्दों का इस्तेमाल सोशल मीडिया व समाचार पत्र के द्वारा इस तरह से लिखा जा रहा था. जैसे की अधिवक्ता शैलेंद्र पांडे कोई बड़े माफिया या अपराधी है इस शब्द लिखने के पीछे चंदौली जिले के संयुक्त रूप से भ्रष्टाचारियों के बन गए गिरोह का एक षड्यंत्र है जो शैलेंद्र पांडे के कंधे पर बंदूक रखकर के राष्ट्रवादी ताकत को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है.
प्रश्न उठता है कि सकलडीहा थाने के रजिस्टर की कॉपी का वीडियो किस तरह से वायरल हुआ और इस तरह से बदनाम करने के पीछे साजिश क्या थी जनपद में गैर जमानती वारंट के अभियुक्त रोज पकड़े जा रहे हैं लेकिन इस गैर जमानती वारंट को इतना हाईपर क्यों बनाया गया दूसरा प्रश्न यह उठता है कि रोज सकलडीहा तहसील में दिखने वाले शैलेंद्र पांडे जो प्रतिदिन दो से तीन वकालत नामा कचहरी में लगाते हैं और हर थाना और तहसील दिवस पर दिखाई देते हैं उनके ऊपर इतनी भूमिका बनाकर के गिरफ्तारी करना और साथ में मुख् वीरों का पुलिस के द्वारा गिरफ्तारी के समय मौके पर उपस्थित होना बहुत सारे प्रश्न खड़ा कर रहा है एक ऐसा प्रश्न इसमें चंदौली जनपद के विभिन्न सामाजिक संगठनों और अधिवक्ता समाज के ऊपर हो रहा है अत्याचार के मामले में अब सबको सन कर दिया है हर व्यक्ति अपने आप को असुरक्षित सा महसूस कर रहा है.
शैलेंद्र पांडे एडवोकेट जो की स्नातक के साथ-साथ पत्रकारिता में स्नातकोत्तर और विधि का विद्यार्थी होने के साथ-साथ अधिवक्ता के रूप में स्थापित है और चंदौली जनपद में 2015 की जिला पंचायत के चुनाव के बाद से सकलडीहा तहसील में अधिवक्ता संगठन संगठन की उपाध्यक्ष तथा लगातार तीन बार अध्यक्ष बनने का जिसको गौरव प्राप्त हुआ हो किसने सामाजिक आंदोलन में हिस्सा लेकर के गरीब शोषित की मदद करने के लिए सामने आने वाले किसी भी परिस्थिति का सामना करने के पूर्व पीछे मुड़कर के नहीं देखा हरिश्चंद्र महाविद्यालय में छात्र संघ की राजनीति में राष्ट्रवाद का झंडा लहराने वाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरुआत करने के बाद क्षेत्र के तमाम संगठनों में अपनी महिती भूमिका निभा करके लड़ाई लड़ने का कार्य किया है.
षड्यंत्र के पीछे वामपंथी नक्सली धर्मांतरण करने वाली चंदौली की ताकत है और उसके पीछे लगाकर शैलेंद्र पांडे को बदनाम करने के लिए किस स्तर तक गया
इस स्तर को देखने के बाद चंदौली जनपद के एक-एक व्यक्ति की आवाज यह आई यह तो फसाने की एक साजिश है लेकिन 24 घंटे के अंदर जब अधिवक्ताओं के द्वारा रविवार के दिन पूरे विषयों को सटीक तरीके से रखा गया और शैलेंद्र पांडे ने खुद अपने जमानत के संदर्भ में बहस करनी शुरू की तो आखिरकार न्यायालय को भी लगा इसके पीछे वास्तव में कोई ना कोई षड्यंत्र है और उन्होंने तत्काल शैलेंद्र पांडे के मनोबल को रखने के जमानत दे दिया.
जहां शैलेंद्र पांडे की गिरफ्तारी की सूचना आई और दिन रविवार का था कई ग्राम सभा में मिठाई वितरण और धानापुर बाजार के गैर समुदाय के द्वारा मिठाई वितरण में आखिरकार इस प्रश्न को दोबारा जन्म दे दिया जब आज से 2 वर्ष पूर्व 25 जून 2021 को एक हिंदू परिवार की जमीन पर बनी हुई अवैध मस्जिद तुड़वाने मे शैलेंद्र पांडे के नेतृत्व में हुआ था वही उसके एक महीने के बाद बर्थरा ग्राम सभा में इसी दलित और हिंदू दलित की इस संघर्ष को पांडे ने काम किया वहीं पुलिस के कुछ पुलिस अधिकारियों के द्वारा अ मानवीय तरीके से घर से उठा उठा करके और अ मानवीय तरीके से फर्जी काउंटर्स एवं गलत गिरफ्तारी के विरोध में भी शैलेंद्र पांडे ने मोर्चा लिया वही शैलेंद्र को अपराधी इतिहास को किस तरीके से प्रस्तुत किया गया शैलेंद्र पांडे बहुत बड़ा अपराधी है लेकिन जो जनता के सवालों पर लगातार मुखर रहता है यह बात मानने के लिए समाज तैयार नहीं हुआ पुलिस का रिकॉर्ड कुछ भी करें लेकिन जनता के रिकॉर्ड में और सोशल मीडिया में शैलेंद्र पांडे के समर्थन में उतरे युवा अधिवक्ताओं और आम आदमी ने इस बात को बताने की कोशिश की किसी भी शरीफ व्यक्ति को अगर आपको कागज और कलम के द्वारा गलत तरीके से फसाने की कोशिश की जाएगी उसका परिणाम बहुत भयावह हो सकता है सुनने में आ रहा है कि जिले के बड़े नेता जिले के भाजपा की पदाधिकारी शैलेंद्र पांडे को फसाने में अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी यहां तक की सभी पत्रकारों को न्यूज़ और उनको लगा करके बदनाम करने के लिए प्रेशर भी बनाया जब पत्रकारों के द्वारा यह पूछा गया कि अभी तो भाजपा के ही सदस्य हैं तो उसे जिले के पदाधिकारी के द्वारा यह बताया गया कि का भाजपा से कोई संबंध नहीं है भाजपा का सर्टिफिकेट बांटने वाले लोगों ने लोकसभा 2024 के चुनाव के पहले अधिवक्ता समाज के सच्चे सिपाही एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ जिस तरह का षड्यंत्र रचा है 2024 में इसका परिणाम भी इसका असर भी देखने को मिल सकता है