आखिर क्या चल रहा है तहसील मडी़हान के अधिकारियों व DIOS के दिमाग मे?IGRS मतलब मजाक है क्या?

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मडी़हान/मिर्जापुर:- पिछले कई महीनों से तहसील मडी़हान के अधिकारियों का रवैया चर्चा का विषय बना हुआ है। यहा अगर शिकायतकर्ता अपनी फरियाद लेकर आता है तो उसे सांत्वना तो दी जाती है न्याय की लेकिन होता इसके विपरीत ही है,गलत निर्णय ही किया जाता है इसके प्रमाण बहुत है।

पिछले महीने 11 जुलाई को प्रभावशाली संगठन मानवाधिकार परिषद् राजगढ़ इकाई द्वारा राजगढ़ मे हो रहे अवैध निर्माण,जमीन कब्जा व करोडो़ के हेराफेरी की शिकायत IGRS के माध्यम से की गयी और ये अपेक्षा की गयी कि नये अभी तहसीलदार और एसडीएम साहब आए है,जल्द ही इस शिकायत की जांच कर उचित न्याय किया जाएगा और दोषी पर विधिक कार्यवाही की जाएगी लेकिन पिछले 1 सालों से तहसील मडी़हान के अधिकारी जो करते आ रहे है वही इस शिकायत मे भी देखने को मिला। 28 दिन बाद रिपोर्ट लगकर आइ और शिकायतकर्ता को खबर तक नही लगी की कब जांच हुआ।

पुर्व एसडीएम व तहसीलदार भी यही तरीका अपनाते थे और अब नये वाले भी,रिपोर्ट भी पिछले रिपोर्ट को देखकर ही लगाई गयी जिसमे शिकायत के बारे मे कुछ नही लिखा गया है और ना ही कोई कार्यवाही का आदेश लिखा गया है। आश्चर्य की बात ये भी है कि तहसीलदार व एसडीएम द्वारा शासन द्वारा दिये गये CUG नंबर पर मानवाधिकार अध्यक्ष का नंबर ब्लाक कर दिया गया है,,सवाल ये भी है कि क्या CUG नंबर ब्लाक करने के लिए दिया जाता है अधिकारियों को?

IGRS को मजाक बनाकर रख दिया गया है इस जिले मे,जिला विद्यालय निरीक्षक तो इस तरीको को अपनाए ही है और अब तहसील तडी़हान के अधिकारी भी,,उच्चाधिकारियों को इसे संज्ञान मे लाना होगा और IGRS जिस लिए बना है उसे उसी कार्य के लिए चलाना होगा,खुद से कोई रिपोर्ट अपलोड कर देने से शिकायतकर्ता चुप नही हो जाएगा

मानवाधिकार अध्यक्ष ने बताया कि इनकी शिकायत अब उच्चाधिकारियों के यहा की जाएगी,अगर तब भी सुधार नही हुआ तो मानवाधिकार आयोग से कार्यवाही की मांग की जाएगी

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