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Chandauli news : पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू की पहल लाई रंग, मंडी में रखा बिक गया काला धान, घर में रखे धान को लेकर मंडी पहुँचे किसान

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Chandauli news : ब्लैक राइस की बिक्री को लेकर पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू की पहल रंग लाई.  नवीन मंडी माधोपुर में जिले भर के किसानों का तीन वर्ष से पड़ा 1200 कुंतल धान बिक गया है. इस बात की जानकारी देते हुए सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने जनपद के किसानों का आह्वान किया कि यदि किसी भी किसान के पास काला धान अभी भी पड़ा है, तो वह उसे नवीन मंडी में दो दिनों के अंदर लेकर आएं. बिना किसी परेशानी व जद्दोजहद के किसानों का धान खरीदा जाएगा और जिससे उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके.

विदित हो कि सपा नेता मनोज सिंह डब्लू बीते माह किसानों की फरियाद पर काला धान की खरीद के मुद्दे पर मुखर है. उन्होंने तीन साल से मंडी में पड़े धान खरीद न कर पाने पर जिला प्रशासन से कई कड़े सवाल किए. साथ ही उन्होंने नवीन मंडी में पड़े धान की खरीद को सुनिश्चित किए जाने की बात कही और बिक चुके काला धान का भुगतान किसानों के खाते में कराने का मुद्दा पूरी गंभीरता के साथ उठाया. इसके साथ ही नवीन मंडी समिति में बैठक आहूत कर किसानों की समस्याएं सुनी और पत्रक के जरिए जिला प्रशासन तक किसानों की बात और उनकी चेतावनी को भी पहुंचाने का काम किया.

प्रशासन को यह भी अवगत कराया कि जो काला धान बिक चुका है उसका भी भुगतान लंबित है, जो किसानों के साथ अन्याय व अत्याचार है. साथ उन्होंने यह भी कहा कि जो धान बिक्री से रह गया है. उनकी खरीद जिला प्रशासन एक माह में सुनिश्चित करें. इसके बाद जिला प्रशासन ने काला धान खरीद मामले को गंभीरता से लिया और तीन वर्ष से नवीन मंडी में पड़े धान की खरीद को सुनिश्चित किया.

इस बाबत शुक्रवार को मनोज सिंह डब्लू को खुशी जाहिर करते हुए जनपद के किसानों का आह्वान किया कि यदि किसी किसान के घर पर काला धान पड़ा है, तो वे अपनी उपज के साथ मंडी पहुंचे, उनके धान की खरीद को सुगमता के साथ खरीदा जाएगा. कहा कि आपके पास जितना भी धान पड़ा है.उसकी खरीद हर हाल में सुनिश्चित होगी, क्योंकि उसे ले जाने वाले ट्रक नवीन मंडी में खड़े हैं.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर अभिनव प्रयोग के तौर पर इसकी शुरुआत की थी. शुरू दो साल के बाद के अनाज के बाद इसके खरीदार नहीं मिले. पिछले 3 सालों से 1200 कुंतल काला धान नवीन मंडी के गोदामों में पड़ा था. बड़े पैमाने पर उत्पादन और जीआई टैंगिंग हासिल करने के बावजूद इसकी खेती करने वालों की संख्या न के बराबर हो गई है.

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