Baba Kinaram Story : आज के इस पोस्ट में हम भगवान शंकर का अवतार माने जाने वाले बाबा कीनाराम से जुड़े अनसुने किस्से को बताएंगे जो कम लोगो को ही शायद पता हो. समाज मे बाबा कीनाराम(Baba kinaram History) के बारे में कई कथानक प्रचलित है.
बाबा कीनाराम का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद चन्दौली के सकलडीहा तहसील अंतर्गत रामगढ़(Ramgarh)गांव में एक क्षत्रिय परिवार में 1658 में भाद्रपद के कृष्णपक्ष में अघोर चतुर्दशी के दिन हुआ था.बाबा कीनाराम का जन्मोत्सव अघोरसिद्धपीठ रामगढ़ में प्रतिवर्ष मनाया जाता है यह कार्यक्रम तीन दिन चलता है जिसमे दूर दराज़ से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
एक बार बाबा कीनाराम गाजीपुर(Ghazipur) के कारों गांव से गुजर रहे थे कि रास्ते में एक बुढ़िया रोती हुई मिली। निर्धन बुढ़िया के पास एकमात्र पुत्र था जो कि जमींदार को लगान न दिये जाने के कारण दण्डित किया जा रहा था। बुढ़िया के संताप के कारण बाबा कीनाराम उस जमींदार के पास पहुंच कर उसके पुत्र को छोड़ने के लिए आग्रह करने लगे, लेकिन लोभी जमींदार ने बाबा की बात मानने से इन्कार कर दिया।
तब बाबा ने जमींदार को वहीं जमीन खोदने को कहा जहां वह बालक बैठा था। जमीन खोदने पर स्वर्ण मुद्राएं मिलीं। ऐसा देख जमींदार बाबा के पैरों पर गिरकर क्षमा याचना करने लगा और बुढ़िया ने भी अपने इकलौते पुत्र को बाबा को समर्पित कर दिया। आगे चलकर यही बालक बाबा बीजाराम के नाम से प्रसिद्ध हुआ.अघोर सिद्धपीठ रामगढ़ में बाबा का सिंहासन है और इनके पास ही इनके शिष्य बीजाराम का भी सिंहासन है, जहां आज भी उसी तरह धूनी प्रज्ज्वलित है।
बाबा कीनाराम से जुड़ा एक कथानक यह भी प्रसिद्ध है कि बाबा कीनाराम को खड़ाऊ पहन कर चलते हुए पृथ्वी पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने की सिद्धि प्राप्त थी।
एक बार जब बाबा कीनाराम, संत कालूराम के पास काशी के हरिश्चंद्र घाट पर पहुंचे तो कालूराम खोपड़ी पर सिद्धि कर रहे थे। उन्होंने कालूराम से प्रश्न किया कि जो शव किनारे लगा हुआ है मुर्दा है या जिन्दा ? तब कालूराम ने कहा कि मुर्दा। इस पर कीनाराम ने शव से कहा कि ‘ऐ रामजीयावना उठ काहें सो रहा है’ और मुर्दा उठ गया। यह चमत्कार देखते ही कालूराम, बाबा कीनाराम के चरणों पर गिर गये। बाबा कीनाराम की परीक्षा ले चुके संत कालूराम ने गुरू दत्तात्रेय का दिया हुआ सोटा बाबा कीनाराम को सौंपा।
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संत कीनाराम(Saint Kinaram) ने कराची (पाकिस्तान) के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित हिंगलाज देवी मन्दिर पहुँच कर काफी दिनों तक देवी की आराधना की। एक दिन अचानक संत कीनाराम ने देवी का असली रूप देखने की हठ लगा ली। भक्त कीनाराम की हठ पर देवी ने उन्हे अपना असली रूप दिखाया और कहा कि मैं ही हिंगला देवी हूं और अब मैं यहां से क्रीं कुण्ड चली जाऊंगी, तुम भी वहीं चलो, इस पर बाबा कीनाराम क्रीं कुण्ड वाराणसी चले आये।
बाबा कीनाराम के चमत्कारों की अनेक घटनाएं सर्वत्र प्रचलित हैं जिसमें गाजीपुर जिले के भुडकुड़ा में जल का दूध बना देना, गिरनार से लौटते वक्त राजा के सिपाहियों के हाथों पकड़े जाने पर जेल में अपने आदेश पर चक्की चलवाना, सैदपुर में गरीब दीपुआ को उसके रेवड़ी सत्कार पर प्रसन्न होकर दीपचन्द्र बना देना आदि।
संत कीनाराम के जन्म स्थान रामगढ़ (चन्दौली) में अघोर सिद्ध पीठ है। बाबा कीनाराम की जन्म स्थली होने के कारण इस सिद्धपीठ का भी अलग ही महत्व है। मंदिर के बगल में विशाल बरगद का वृक्ष आज भी उसी तरह तेज बरसा रहा है जैसे बाबा के साधना के वक्त था। पूजा के वक्त बाबा कीनाराम के मठ में दिव्य शक्ति की अनुभूती होती है।
बाबा किनाराम(baba kinaram ramgarh) ने इस मठ में एक कूप का निर्माण कराया था। कहा जाता है कि निर्माण के समय ईंट कम हो गईं तो उन्होंने पास रखे गोहरे लगाने का आदेश दे दिया और गोहरे ईंट में बदल गया था जो आज भी दर्शनीय है। इसे राम सरोवर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि राम सरोवर में स्नान मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है। रविवार और मंगलवार को कीनाराम स्नान के लिए लोगों की भीड़ लगती है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि बाबा एक बार इसमें कूद कर अदृश्य हो गये थे।
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