चंदौली: 13 अप्रैल 2021:- कोरोना की बढ़ती रफ्तार में आशा कार्यकर्ताओं ने नवजात की जिम्मेदारी संभाल ली है। स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग अग्रिम पंक्ति की योद्धा आशा व संगिनी कार्यकर्ता घर–घर जाकर जनसमुदाय को कोविड-19 के बचाव एवं नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।
जिला महिला चिकित्सालय डीडीयू (मुगलसराय) प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुरिता सचान ने बताया कि एक साल बाद पुन: कोरोना तेजी के साथ बढ़ रहा है। वायरस से नवजात को सुरक्षित रखने एक बड़ी ज़िम्मेदारी आशाओ द्वारा निभाई जा रही है। इस दौरान वह नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का पहला गाढ़ा दूध पिलाना, जन्म से छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाना, छह माह से दो साल या उससे अधिक स्तनपान के साथ पूरक आहार देना आदि के बारे में जागरूक कर रही हैं।
जिला महिला चिकित्सालय की ही डॉ महिमा नाथ ने बताया कि आशा व आशा संगिनी जनसमुदाय के बीच बेहतर पहुँच है।
प्रशासन व स्थानीय विभाग द्वारा स्वास्थ्य संबंधी निर्देश को जनसमुदाय तक पहुंचाना, योजना की जानकारी देना, जागरूक करने की सबसे अहम कड़ी आशा है | मौजूदा समय में कोविड के बढ़ते मामले से बचाव एवं नियमों के पालन के लिए लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं। साथ इस दौरान कोविड से नवजात की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है | आशाओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान नवजातों में होने वाली समस्याओं की अच्छे से पहचान एवं जरुरत पड़ने पर उनके साथ चिकित्सालय व सेंटर जाती हैं । आशाएं गृह भ्रमण के दौरान बच्चों का परीक्षण कर शिशु को होने वाली तकलीफ पहचान करती है | बल्कि माताओं को नवजात की देखभाल के विषय में जानकारी भी देती हैं l नवजात व माताओं की साफ – सफाई की जानकारी देती है | अगर इन्हे नवजात की जांच में कोई परेशानी दिखती है तो फोन से हम डॉक्टरों से बात कर परामर्श लेने के बाद उचित सलाह देती है |
धानापुर ब्लॉक की आशा संगीता सिंह ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात की बेहतर देखभाल की जरूरत बढ़ जाती है और खासकर इस समय तेजी से संक्रमण के बीच नवजात की देखभाल व साफ – सफाई पर ध्यान देना बेहद जरूरी है |
सरकारी अस्पताल में प्रसव के मामलों में शुरूआती दो दिनों तक मां और नवजात का ख्याल अस्पताल में रखा जाता है। लेकिन गृह प्रसव के मामलों में पहले दिन से ही नवजात को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। सरकारी अस्पताल व गृह प्रसव दोनों स्थितियों में हम आशाएं को घर-घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती है। गृह भ्रमण के दौरान नवजात की देखभाल की जानकारी दे रही हूँ । संस्थागत प्रसव की स्थिति में छः बार गृह भ्रमण करती है। गृह प्रसव में सात बार गृह भ्रमण नवजात की देखभाल करती हूँ | सही समय पर नवजात की बीमारी का पता लगाकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इसके लिए खतरे के संकेतों को समझना जरुरी होता है।जैसे – शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो ,शिशु स्तनपान करने में असमर्थ हो ,शरीर अधिक गर्म या अधिक ठंडा हो , शरीर में होने वाली हलचल में कमी | खतरे को जांच कर तुरंत शिशु को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाते है।
कोरोना के इस दौर में नवजात के लिए माँ का दूध और स्वच्छता के साथ ही नवजात शिशु देखभाल सुविधाएं उपलब्ध कराना एवं जटिलताओं से बचाना, समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजातों एवं जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर उनकी विशेष देखभाल करना, नवजात शिशु की बीमारी का पता कर उचित देखभाल करना एवं जरूरत अनुसार चिकित्सालय लेकर जाती हूँ | कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है | इस लिए घर – घर जा कर लोगों को कोविड से सावधानियों और नियमों का पालन करने एवं धात्री माताओं और उनके परिवार को जागरूक कर रही हूँ । नवताज के लिए माँ का दूध कोरोना वायरस एवं शारीरिक तथा मानसिक विकास के साथ ही डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से भी बचाता है। दो वर्ष तक उसके बाद भी स्तनपान जारी रखने से शिशु उच्च गुणवत्ता वाली ऊर्जा एवं पोषण तत्व प्राप्त करता है। स्तनपान कराने से भूख एवं कुपोषण की रोकथाम में मदद मिल सकती है। साथ ही स्तनपान के दौरान नाक और मुंह को ढककर रखने की सलाह दे रही हूँ , स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान रखने को कहती हूँ |