दवा लेने में न करें लापरवाही, खानपान का रखें खास ध्यान,
कोरोना से बचाव के नियमों का करें पालन,
चंदौली – 15 जून 2021
कोरोना काल में सभी को सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है, लेकिन टीबी (क्षय) के रोगियों को अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी पी द्विवेदी का कहना है कि कोविड-19 के दौरान विशेषकर उन मरीजों को जो पहले से फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे हैं या लगातार दो सप्ताह से खांसी, तेज बुखार के साथ पसीना (विशेषकर रात में), कमजोरी, भूख न लगना आदि लक्षण अगर किसी भी व्यक्ति में दिखाई दें तो तत्काल नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर बलगम की निःशुल्क जांच कराकर चिकित्सक की निगरानी में उपचार शुरू करें। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ डी एन मिश्रा ने बताया – जिले में मार्च 2021 से अब तक 525 नए टीबी मरीजों को खोजकर इलाज शुरू किया गया है। जिले में कोविड-19 के साथ टीबी उन्मूलन के लिए जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तरीय अभियान चलाये जा रहे हैं ताकि कोरोना काल में भी टीबी उन्मूलन की गति धीमी न पड़े । इसके लिए गठित टीम के माध्यम से वार्ड व ब्लॉक स्तर पर लोगों को टीबी व उसके इलाज के संबंध में जानकारी दी जा रही है | हर माह की नौ तारीख को मनाये जाने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती की टीबी की विशेष जाँच की जा रही है | डॉ डीएन मिश्रा ने बताया – जनपद में पाँच ब्लाकों में एक-एक ट्रू नाट मशीन उपलब्ध हैं, जिससे टीबी रोगियों का निदान व उपचार जल्द से जल्द किया जा सके | रोगियों का बलगम मुख्यालय भेजने व रिपोर्ट आने में 10 -15 दिन लग जाते थे , लेकिन ट्रू नाट मशीन द्वारा दवा का असर पता कर ब्लॉक पर ही 24 घंटे में उचित उपचार शुरू किया जाता है | जनपद में अभी यह सुविधा जिले के पोस्टपार्टम सेंटर मुगलसराय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धानापुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सकलडीहा, संयुक्त चिकित्सालय चकिया व कमलापति जिला चिकित्सालय में उपलब्ध कराई गई है | टीबी के लक्षण – दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खाँसी का आना, खाँसी के साथ बलगम में खून का आना, बुखार आना विशेष रूप से रात को, वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द आदि इसके मुख्य लक्षण हैं। अगर हड्डी की टीबी है तो उस मरीज के हड्डी में या उसके पास दर्द होगा। गिल्टी की टीबी है तो वहां ग्लैंड बढ़ जाती है। ऐसे में तुरंत ही टीबी की जांच करानी चाहिए| इसके साथ ही छोटे बच्चे का विकास रुक जाना, बच्चे का चिड़चिड़ा हो जाना यह लक्षण भी टीबी के हो सकते हैं| इनमें से कोई भी लक्षण नजर आयें तो तत्काल नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर बलगम की निःशुल्क जांच कराएं। इलाज और नियमित दवा का सेवन प्रयोग कर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है । उन्होने कहा कि समस्त मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) मरीजों को फोन से संपर्क कर दवा न होने पर उनको दवा भी नजदीकी ब्लॉक के टीबी यूनिट के माध्यम से टीबी मरीज तक पहुंचाई जा रही है। इम्युनिटी को करें मजबूत- टीबी से बचाव के लिए इम्युनिटी को मजबूत रखें जिसके लिए न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डाइट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि) लेनी चाहिए। साथ ही दूध, ताजे फल, गुनगुना पानी पीने में प्रयोग करें| कमजोर इम्युनिटी से टीबी का प्रभाव ज्यादा प्रभावी होते हैं। कई बार मजबूत इम्यूनिटी वाले शरीर में भी टीबी हो जाता है लेकिन इम्युनिटी मजबूत होने से उन्हे प्रभावित नहीं कर पाता | कोरोना संक्रमण से बचाव – क्षय रोगियों में कोरोना संक्रमण का खतरा अन्य मरीजों से कई गुना ज्यादा होता है। इस लिए क्षय रोगी बेवजह बाहर न जायें, बेहद जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें। दोहरे मास्क का इस्तेमाल व मानव दूरी का पालन करना सभी के लिए जरूरी है। टीबी के मरीज भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें | दूषित जगहों से भी टीबी के मरीजों को दूर रहना चाहिए| क्षय रोगी घर में भी मास्क पहनकर रहें | मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने के समय साफ कपड़े को मुंह पर अवश्य लगाएँ| टीबी के मरीज यहां-वहां न थूकें जिससे अन्य लोग प्रभावित न हो सकें | टीबी मरीज द्वारा इस्तेमाल की वस्तुओं को परिवार के अन्य सदस्यों को प्रयोग नहीं करना चाहिए |