नौगढ- श्री शनिदेव महाराज व बाबा कालभैरव श्रृंगार महोत्सव के अवसर पर रविवार को बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान कार्यक्रम आयोजित करके अभिभावको से बेटियों को पढाने की अपील किया गया। वहीं गरीब असहाय निशक्त निर्धन परिवार की बेटियों को शिक्षण सामग्री भी मुहैया कराया गया।
साक्षरता व जागरूकता अभियान चला करके घरेलू हिंसा का शिकार हो रही महिलाओं व बेटियों की आवाज बनी कस्बा बाजार की किला रोड निवासिनी दीपशिखा ने अवयस्क बेटियों के हाथो में शिक्षण सामग्री मुहैया करा करके कही कि बेटियां बोझ नहीं बल्कि घर की रौशनी होती हैं। बस उन्हें एक मौका देकर देखिए। उन्होनेआगे कहा कि आज भी हमारे समाज में बेटे को घर का चिराग और बेटियों को पराये घर जाने की संज्ञा देकर के इनके हौसले को आहत पहुंचाया जाता है। जबकि हम बेटिया भी बेटो से कम नहीं है। बस हमे भी पढ़ने की आजादी मिलनी चाहिए। शिक्षित बेटी एक नहीं दो परिवारों को संवारती है।
स्वयं गरीबो निराश्रितो असहायो तक अपनी पहुंच बनाकरके उनके पाल्यो को ज्ञानार्जन कराने में जूटी दीपशिखा ने कहा कि यह अशिक्षा की ही देन है कि अनेको पात्र लोग भी अपना हक और अधिकार पाने से वंचित रह जाते हैं। इसलिए बच्चों को अंगूठाटेक न बनाएं।
वहीं बिरहा जगत के शहंशाह हरिद्वार कवि ने कहा कि बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार दिया जाना चाहिए। कहा कि कुछ लोगों की मानसिकता होती है कि बेटियो को पढाने-लिखाने में धन का अपव्यय होगा क्योंकि उसे तो पराए घर जाना है और दहेज के लिए काफी रूपयो का भी बंदोबस्त करना ही होगा। जो कि सरारसर गलत है।
जब बेटीयां शिक्षित होगी तभी उन्हें अपने अधिकारो का पूरा बोध होगा। तभी समाज से दहेज प्रथा भ्रुण हत्या दहेज हत्या की कुरुति का अस्तित्व ही समाप्त हो पाएगा।
आयोजक के पी जायसवाल ने बताया कि कोई भी बेटी अशिक्षित न रहे इसके लिए निरंतर प्रयास जारी है। जिसके लिए अभिभावको को भी दृढ संकल्पित होना पड़ेगा कि बेटों के समान ही बेटियों को पढने के लिए स्कूल भेजा जाय।
लोकगीत बिरहा कलाकार रामजनम जांबाज टोपी वाला ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि पढेगी बेटीया तभी आगे बढेगीं बेटिया। इसलिए बेटियों को पढाने में भी वही पहल की जानी चाहिए जो बेटे के लिए की जाती हैं। उन्होंने आगे बताया कि बेटियो को कोख में मार दिए जाने की खबरे प्रकाश मे आ जाया करती है। जिसके लिए पुरूष के साथ ही महिला भी दोषी हैं।
यदि महिला शिक्षित होगी तो निश्चय ही पुरूष के हाथ की कठपुतली बनकर उसके ईशारे पर निर्भर नहीं रहेंगी बल्कि स्वविवेक के बदौलत गलत कार्यो का डटकर विरोध करते हुए इस तरह का अनर्थ कदापि नहीं होने देगी।
इस मौके पर डा सी डी सिंह पंकज मद्देशिया, सुनील केशरी, भगवानदास, मंगल जायसवाल, विकास, संदीप सहित अनेको लोग मौजूद रहे।