लखनऊ: प्रदेश की राजधानी में बीते कुछ दिनों से कोरोना ने पूरी तरह से तांडव मचा रखा है। जिसकी चपेट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यादव तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी आ चुके हैं। जिसके कारण प्रदेश में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की भयावह किल्लत हो चुकी है।
बीते शुक्रवार प्रदेश की राजधानी से कुछ ऐसे ही खबर सामने आई। जिसमें 65 वर्ष के एक वरिष्ठ बुजुर्ग पत्रकार की अचानक तबीयत खराब हो गई। आनन-फानन में परिजनों ने एंबुलेंस को बुलाया तो जरूर मगर समय रहते कोई एंबुलेंस ना पहुंची। और उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत घट जाने के कारण मौके पर ही उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
वरिष्ठ पत्रकार के बेटे ने नवभारत टाइम्स से हुई बातचीत में बताया कि हमने एंबुलेंस बुलाने के काफी प्रयास किए लेकिन कोई भी एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचे। फिर वह स्वयं उनको लेकर कई अस्पतालों में गए लेकिन उन्हें वहां घुसने तक नहीं दिया गया। उन्हें आपका कर मना कर दिया गया कि आप पहले को भी टेस्ट का सर्टिफिकेट लेकर आएं इसके पश्चात ही हम इलाज करेंगे। एक आखरी आशा की उम्मीद में पत्रकार ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्वीट करते हुए लिखा कि “आपके राज्य में डॉक्टर और अस्पताल एकदम निरंकुश हो गए हैं मैं 65 वर्ष का हूं मुझे स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी हैं लेकिन कोई मेरी सुनने को तैयार नहीं है।”




पत्रकार विनय श्रीवास्तव का आखिरी ट्वीट
ट्वीट करने के बाद भी कोई मदद समय पर ना पहुंचने कर उनका ऑक्सीजन लेवल एकदम नीचे चले जाने के कारण उनकी मौत हो गई। राजधानी में यह ऐसा पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पिछले एक हफ्ते में दो पत्रकारों की मौत इसी तरह समय पर इलाज ना मिलने के कारण हो गई। प्रदेश में ऐसी हो रही घटनाएं इस बात को दर्शाती हैं कि किस तरह प्रदेश में महामारी के कारण स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाएं जर्जर हो चुके हैं।