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सुबह धूप और बादल रहेंगे, शाम तक इनके बारिश वाले मौसम में बदलने के आसार हैं। बारिश की वजह से दिन में पारा नीचे जा सकता है, जबकि रात का पारा बढ़ने की उम्मीद है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विभाग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में ओले पड़ सकते हैं। इस वजह से फसलों को भी नुकसान पहुंच सकता है। मौसम विभाग की माने तो 23 से 26 जनवरी के बीच पंजाब, हरियाणा और कानपुर मंडल सहित उत्तर प्रदेश व उत्तरी मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में बारिश की संभावना है। गंगा के मैदानी इलाकों में इस बीच कहीं-कहीं तेज बारिश हो सकती है।
ठंड की तरह इस बार गर्मी भी प्रचंड
कानपुर में इस बार पड़ी कड़ाके की ठंड की तरह गर्मी के तेवर भी तीखे होंगे। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर जून में सक्रिय होने वाले अलनीनो की हलचल प्रशांत महासागर में अभी से बढ़ गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और स्थानीय चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विभाग के अध्ययन में यह बात सामने आई है। बता दें अलनीनो की सक्रियता से तापमान बढ़ता है।
मौसम विभाग के अनुसार इस बार लू चलने के दिन ज्यादा होंगे। बारिश कम हो सकती है। इससे सूखा पड़ सकता है और गर्मी के सीजन वाली फसलें प्रभावित हो सकती हैं। सीएसए मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. एसएन पांडेय के अनुसार अलनीनो के सक्रियता तेज होने से समुद्र तल का तापमान करीब पांच डिग्री से ज्यादा बढ़ सकता है। बताया कि अलनीनो का असर अभी दक्षिणी हिस्से में महसूस किया जा रहा है। इसके कारण मध्य और पश्चिमी प्रशांत महासागर की सतह पर तापमान में बदलाव दिख रहा है। धीरे-धीरे यह आगे बढ़ेगा। बताया कि जुलाई से सितंबर के बीच गर्मी चरम पर होगी। ऐसा अनुमान है कि इस बार की गर्मी पिछले 122 वर्षों का रिकार्ड तोड़ सकती है।
इन वर्षों में सबसे ज्यादा रही है गर्मी
वर्ष 2016, 2019 और 2020 में भी अलनीनो के प्रभाव की वजह से सर्वाधिक गर्मी पड़ी थी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अध्ययन के अनुसार अभी से ऐसे संकेत मिल रहे हैं, कि अलनीनो का प्रभाव अधिक बढ़ने की वजह से मानसून भी कमजोर पड़ सकता है। डॉ. पांडेय के अनुसार मौसम विभाग के पास उपलब्ध पिछले 122 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार अभी तक वर्ष 2016 में सर्वाधिक गर्मी रही है। उसके बाद 2019 और 20 में लगातार ऐसा देखने को मिला। फिर अलनीनो के कमजोर होने से मौसम में बदलाव आया। अध्ययन में यह आशंका जाहिर की गई कि 2023 की गर्मी पिछले सभी आंकड़ों पर भारी पड़ सकती है।
यह होता है अलनीनो
मौसम विशेषज्ञ डॉ. पांडेय के अनुसार प्रशांत महासागर के सतह के ऊपर के तापमान में होने वाले बदलाव की प्रक्रिया अलनीनो कहलाती है। इसके बदलाव से पृथ्वी का तापमान गरम होने लगता है, जबकि लानीना की वजह से तापमान ठंड होता है।
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