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गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के विभिन्न थानों में जेल में रहते मुख्तार पर अब तक हत्या के 8 मामले दर्ज हुए हैं। इस प्रकार करीब 60 साल के मुख्तार पर कुल 61 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में दर्ज हैं। 61वां मुकदमा एक दिन पहले उसके गृह जिले के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड में दर्ज हुआ है।
मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर किया था। उसके बाद वो यहीं के जेल में बंद था। करीब एक महीने के बाद 29 नवंबर 2005 को पूर्व विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड हुआ। जिसमें सात लोगों की मौत हुई थी। उसमें मुख्तार अंसारी को मुख्य आरोपी बनाया गया।
2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया। साल 2009 में कपिलदेव सिंह की हत्या का आरोप भी मुख्तार पर लगा। जेल जाने के बाद हत्या के 8 मामलों में मुख्तार अंसारी को मुख्य आरोपी बनाया गया।
22 वर्ष पुराने उसरी चट्टी हत्याकांड के मामले में वादी और मुख्य गवाह मुख्तार अंसारी पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ तो इस केस ने भी नया मोड़ ले लिया। इसमें मुख्तार आरोपी हो गए। ऐसे में हत्या समेत अन्य मामलों में मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या 61 हो चुकी है।
पिछले चार दशकों में पूर्वांचल के अपराध में गाजीपुर केंद्र बिंदु बनकर उभरा। 90 के दशक में मुख्तार समेत अन्य अपराधियों के नाम गाजीपुर और आस-पास के जिलों में फैलने लगे। रंजिश, सुपाड़ी से होते हुए मामला सरकारी ठेकों तक पहुंचा। इसमें कई गोल-गैंग बने। कई दोस्त-दुश्मन भी हुए।
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