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हाथरस के लाला का नगला में सुभाष पार्क
– फोटो : अमर उजाला
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस का हाथरस से नाता रहा है। वह वेश बदलकर काका हाथरसी के घर आए थे। उसके बाद जब आंदोलन का बिगुल बजा तो प्रदेश के दौरे के दौरान शहर के आर्य समाज सासनी गेट में सभा में भी शामिल हुए थे।
नेताजी के वेश बदलकर आने का उल्लेख पुस्तक ब्रज संस्कृति और लोकसंगीत में भी किया गया है। उनकी यादों को संजोने के लिए पालिकाध्यक्ष रमेश चंद्र आर्य ने पार्क भी बनवाया था। अब इस पार्क के पास अब गंदगी का अंबार है। शिलालेख भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
जमुना बाग तक टहलने गए थे नेताजी
जब आजादी का बिगुल बजा तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस छद्म वेश में कुछ घंटों के लिए काका से मिलने हाथरस आए। लोगों की मानें तो पहले तो काका उन्हें पहचान नहीं सके। कुछ ही देर में वह समझ गए कि उनके घर में महायुद्ध का वीर नायक आया है। इसके बाद काका व नेताजी दोनों जमुना बाग तक पैदल टहलने गए और आंदोलन को लेकर चर्चा की। काका ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सिर पर हाथ फेर कर महान बनने की सीख दी। यहां से सुभाष चंद्र बोस देहरादून के लिए रवाना हुए। देहरादून जाकर उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की थी।
1973 में पालिका अध्यक्ष रमेश चंद्र आर्य ने बनवाया पार्क
पूर्व पालिकाध्यक्ष रमेश चंद्र आर्य ने नेताजी की यादों को सहेजने के लिए 1973 में शहर के लाला का नगला में पार्क का निर्माण कराया था। उसके बाद पालिकाध्यक्ष डॉली माहौर ने पार्क में सौंदर्यीकरण का काम कराया। वर्ष 1993 में पूर्व पालिकाध्यक्ष द्वारा लगाया गया शिलालेख क्षतिग्रस्त हो गया है। जो पार्क में बच्चों का खेल बना हुआ है। पार्क के द्वार पर कूड़े का ढेर लगा रहता है।
हमारे एक मित्र कुलश्रेष्ठ जब विद्यार्थी थे तब नेताजी का प्रदेश का दौरा लगा था। आर्य समाज सासनी गेट में सभा हुई थी। इस सभा में काफी संख्या में भीड़ थी। उसके बाद वह विदेश चले गए। नेताजी का पार्क शहर के लाला का नगला में मैने अपने कार्यकाल में बनवाया था। – रमेश चंद्र आर्य, पूर्व पालिकाध्यक्ष
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