आचार्य नरेंद्र देव छात्रावास के छात्रों ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि पर उनके योगदान को याद किया गया। उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी।
काशी विद्यापीठ के छात्रावास के अंदर छात्रों ने पंडित जनेश्वर मिश्र की 13वी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा व विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश गुप्ता ने कहा कि पंडित जनेश्वर मिश्र ने समाजवादी आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए पूरे जीवन में समाजवादी आंदोलन को अपने संघर्ष से नई पहचान दी। समाजवादी पार्टी की मजबूती के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहकर पार्टी की नीतियों विचारों को जन-जन तक पहुंचाया। पार्टी उनके योगदान को हमेशा याद करते हुए उनके विचारों को आगे बढ़ाती रहेगी। साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा की जिनके बागिया में हम सब उपस्थित है भारतीय समाजवाद के जनक आचार्य नरेन्द्र देव जी के साथ ही जनेश्वर मिश्र जी रहते थे, और उन्होंने अपनी बातो में शिव प्रसाद गुप्त जी की भी जिक्र किया भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, परोपकारी, राष्ट्रवादी कार्यकर्ता तथा महान द्रष्टा थे। उन्होने काशी विद्यापीठ की स्थापना की। शिव प्रसाद ने ‘आज’ नाम से एक राष्ट्रवादी दैनिक पत्र निकाला। उन्होंने बनारस में ‘भारत माता मंदिर ‘ का भी निर्माण करवाया।




छात्रों का विचार
जनेश्वर मिश्र के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। एम ए हिंदी के छात्र आदर्श ने कहा कि हमें छोटे लोहिया पं. जनेश्वर मिश्र के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा उनके आदर्शो पर चलना चाहिए। बी ए तृतिय वर्ष के छात्र केशव ने कहा कि सपा आंदोलनों में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। उनकी सक्रियता और कार्य करने के जोश को देखते हुए उन्हें छोटे लोहिया के नाम से जाना जाता था। अपनी अपनी बात पुरे छात्रावास के बच्चो ने सभी के बीच रखी








आइए जानते है जनेश्वर मिश्र के बारे में
पण्डित जनेश्वर मिश्र (5 अगस्त 1933 – 22 जनवरी 2010) सामाजवादी पार्टी के एक राजनेता थे। समाजवादी विचारधारा के प्रति उनके दृढ निष्ठा के कारण वे ‘छोटे लोहिया’ के नाम से प्रसिद्ध थे। वे कई बार लोकसभा और राजसभा के सदस्य रहे। उन्होने मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, एच डी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुज़रालमोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, एच डी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुज़रालमोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, एच डी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुज़राल के मंत्रिमण्डलों में काम किया। सात बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद भी उनके पास न अपनी गाड़ी थी और न ही बंगला। इनके नाम पर लखनऊ में एशिया का सबसे बड़ा सुन्दर पार्क सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के प्रेरणा से उत्तर प्रदेश के पुर्व युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा निर्माण कराया गया ।
जनेश्वर मिश्र का जन्म ५ अगस्त 1933 को बलिया के शुभनथहीं के गांव में हुआ था। उनके पिता रंजीत मिश्र किसान थे। बलिया में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद १९५३ में इलाहाबाद पहुंचे जो उनका कार्यक्षेत्र रहा। जनेश्वर को आजाद भारत के विकास की राह समाजवादी सपनों के साथ आगे बढ़ने में दिखी और समाजवादी आंदोलन में इतना पगे कि उन्हें लोग ‘छोटे लोहिया’ के तौर पर ही जानने लगे।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक कला वर्ग में प्रवेश लेकर हिन्दू हास्टल में रहकर पढ़ाई शुरू की और जल्दी ही छात्र राजनीति से जुड़े। छात्रों के मुद्दे पर उन्होंने कई आंदोलन छेड़े जिसमें छात्रों ने उनका बढ-चढ़ कर साथ दिया। 1967 में उनका राजनैतिक सफर शुरू हुआ। वह जेल में थे तभी लोकसभा का चुनाव आ गया। छुन्नन गुरू श्याम लाल वर्मा व सालिगराम जायसवाल ने उन्हें फूलपुर से विजया लक्ष्मी पंडित के खिलाफ चुनाव लड़ाया। चुनाव सात दिन बाकी था तब उन्हें जेल से रिहा किया गया। चुनाव में जनेश्वर को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद विजयलक्ष्मी पंडित राजदूत बनीं। फूलपुर सीट पर 1969 में उपचुनाव हुआ तो जनेश्वर मिश्र सोशलिस्ट पार्टी से मैदान में उतरे और जीते। लोकसभा में पहुंचे तो राजनारायण ने ‘छोटे लोहिया’ का नाम दिया। वैसे इलाहाबाद में उनको लोग पहले ही छोटे लोहिया के नाम से पुकारने लगे थे।
उन्होंने 1972 के चुनाव में यहीं से कमला बहुगुणा को और 1974 में इंदिरा गांधी के अधिवक्ता रहे सतीश चंद्र खरे को हराया। इसके बाद 1978 में जनता पार्टी के टिकट से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और विश्वनाथ प्रताप सिंह को पराजित किया। उसी समय वह पहली बार केन्द्रीय पेट्रोलियम, रसायन एवं उर्वरक मंत्री बने। इसके कुछ दिन बाद ही वह अस्वस्थ हो गये। स्वस्थ होने के बाद उन्हें विद्युत, परंपरागत ऊर्जा और खनन मंत्रालय दिया गया। चरण सिंह की सरकार में जहाजरानी व परिवहन मंत्री बने। 1984 में देवरिया के सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से चंद्रशेखर से चुनाव हार गये। 1989 में जनता दल के टिकट पर इलाहाबाद से लडे़ और कमला बहुगुणा को हराया। इस बार संचार मंत्री बने। फिर चंद्रशेखर की सरकार में 1991 में रेलमंत्री और एचडी देवगौड़ा की सरकार में जल संसाधन तथा इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री बनाये गये। 1992 से 2010 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे।



