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Ghazipur News: चोचकपुर स्थित मौनी बाबा मेला शुरु,जाने कैसे हुई पूर्वांचल के मशहूर मेले की शुरूआत

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Ghazipur  news: गंगा नदी के किनारे स्थित करण्डा क्षेत्र के चोचकपुर(Chochakpur) ग्राम मे स्थित मौनी बाबा धाम(Maunibaba dham)एक तपोभूमि व सिद्ध स्थल हॆ। जहां मॊनी बाबा ने जागृत अवस्था मे समाधि ली थी। बाद मे पुनः जिंदा देखॆ गये ऒर कार्तिक पूर्णिमा को दुबारा समाधि ली।

ददरी मेला के बाद सबसे मशहूर मेला

मॊनी बाबा मेला पूर्वाचल का ददरी मेला(dadari mela) के बाद सबसे मसहूर मेला था।जो करीब एक सप्ताह तक चलता था जिसमे गाजीपुर(Ghazipur) सहित दूर दराज जनपदो से दुकान दार ,सर्कस,नॊटंकी,जादूगर,झूला लेकर आते थे। मथुरा तथा दरभंगा के कलाकार भी नॊटंकी करते थे।लकङी की दुकाने एक पखवारे तक रहती थी।जिला पंचायत द्वारा विजली,पानी,सुरक्षा ब्यवस्था सहित दर्जनो सरकारी स्टाल लगाये जाते थे।

मॊनी बाबा(Mauni baba chochakpur) धाम चोचकपुर के महन्थ सत्यानन्द यति जी महाराज ने बताया जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह द्वारा पिछले तीन वर्ष से दुकानदारो तथा अन्य लोगो को निःशुल्क जमीन उपलब्ध कराने तथा बिजली,पानी,सुरक्षा तथा अन्य सुविधा उपलब्ध कराने से दुकाने प्रति वर्ष बढ रही हॆ। साथ ही साथ मंदिर का जिर्णोध्दार कराने का कार्य मंदिर समिति व दान दाताओ के माध्यम से चल रहा हॆ।

कनुवान गांव के गोसाई परिवार मे पेदा हुए थे मौनी बाबा

इस धाम के बारे मे एक रोचक कथा प्रचलित हॆ।मॊनी बाबा जखनियां क्षेत्र के कनुवान गांव के गोसाई परिवार मे पेदा हुए थे।धार्मिक प्रवृति वाले मॊनी बाबा कनुवान से नित्य गंगा स्नान करने चोचकपुर घाट पर आते थॆ।

बाबा के बारे में प्रचलित कथानक ग्वालिन कैसे बनी अहीरिनिया माई

कहा जाता हॆ कि गंगा पार चंदॊली जनपद के मेढवा गांव की रहने वाली एक ग्वालिन नित्य गंगा पार कर दूध बेचने के लिए आती थी।एक दिन देर होने के कारण कोई नाव नही मिली परेशान होकर बाबा के चरणों मे गिर पङी।बाबा ने कहा मेरे पीछे चलो ।बाबा गंगा मे प्रवेश कर चलते गये ग्वालिन भी पीछे- पीछे चल पङी।गंगा पार करने के बाद बाबा ने कहा इस बात की चर्चा किसी से न करना,वरना पत्थर का रुप धारण करना पङेगा।देर रांत्री तक जब ग्वालिन घर न पहुंचने पर परिवार वाले संदेह कर मारने पीटने लगे।अगले दिन महिला अपने परिजनो को लेकर बाबा के पास आयी ओर सही- सही बात परिजनो को बता दी चमत्कार की बात बताते ही महिला तत्काल पत्थर बन गयी।मंदिर परिसर के समीप ग्वालिन की समाधि बनायी गयी हॆ जिसे अहिरिनियां माई के नाम से जाना जाता हॆ।

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