spot_img
spot_img
3.9 C
New York

Ghazipur News: भांवरकोल जब सर से पिता का साया उठने के बाद बहन ने उठाई जिम्मेदारी, अब सुर्य की तरह चमक बिखेर रहे- डा0 विजयशंकर राय

Published:


गाजीपुर/भांवरकोल। पिछले बुधवार को चंद्रयान-3 में चांद की सतह को चुमकर भारत के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया। उसमें गाजीपुर के रेवतीपुर गांव के कमलेश शर्मा की अहम भूमिका रही। इसके ठीक बाद इसरो के मिशन सूर्ययान आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक लॉन्चिंग में गाजीपुर के ही एक और लाल डॉ0 विजयशंकर राय की अहम भूमिका है। आदित्य एल-1 की सफलता को लेकर देश सहित पुरी दुनिया की निगाहें लगी हुई है। इस मिशन में बीएचयू के दो वैज्ञानिकों के अलावा डॉ विजयशंकर राय की भी भूमिका अहम है। जिले के भांवरकोल क्षेत्र के तरांव गांव निवासी डॉक्टर विजय शंकर राय की संघर्ष की कहानी भी किसी के लिए भी काफी संघर्षपूर्ण एवं प्रेरणास्रोत से कम नहीं है। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ कर गुजरने के लिए यदि लगन और मेहनत से लक्ष्य बनाकर कार्य करें तो सफलता एक दिन अवश्य ही कदम चूमेगी ।शायद शायर बदी़श का यह शेर – वक्त मुखालिफ हो तो काम बन बनके बिगड़ जाता है, सफ़ीना जा पड़ी मझधार में शाहिल से टकराकर। डॉ0 विजय शंकर राय की भी कहानी भी किसी के लिए भी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। जब महज 10 साल की उम्र में उनके सर से पिता का साया उठने के बाद परिवार पर मानों पहाड़ सा टुट पड़ा। पढ़ाई में अव्वल होने के बावजूद भी आगे की पढ़ाई बिजयशंकर के लिए कत्तई आसान नहीं थी। पिता की मृत्यु के बाद उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय तरांव में कक्षा 1 से लेकर 5 तक हुई । इसके बाद उनकी बहन किरण राय ने उन्हें सहारा दिया। उन्होंने एक अभिभावक की भूमिका निभाते हुए विजय की पढ़ाई के लिए वाराणसी ले गयीं। आगे की पढ़ाई के लिए राजकीय क्वींस कॉलेज वाराणसी में दाखिला कराया । इसके बाद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी तेलंगाना से मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई पूरी की। डा0 विजयशंकर राय अपनी प्रतिभा एवं काबिलियत के दम पर वर्ष 2006 में इसरो से जुड़े। इसके बाद वह कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखे। इसके बाद उनकी सफलता का सिलसिला लगातार चलता ही रहा। चंद्रयान -3 की सफलता के बाद शुरू हुआ मिशन सुर्य आदित्य एल-1 को सफलता पूर्वक लॉन्च करने तक पहुंच गया है। जिसमें डॉ0 विजयशंकर की भूमिका अहम रही है। उन्हें युवा साइंटिस्ट का अवार्ड की भी मिल चुका है। उनकी बहन किरण राय का कहना था कि मिशन आदित्य एल -1 सफल लॉन्चिंग से पूरा परिवार उत्साह में डूब गया है । उनकी दो बहने किरण राय एवं सरोज विमला तथा एक भाई अजय शंकर राय भी है। माता सुंदरी राय आदित्य की सफलता के लिए पूजा पाठ में लवलीन रही। आदित्य एल-1 की सफल लांचिंग से इसरो के बैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अपनी क्षमता का लोहा पुरी दुनिया में मनवाया है। डा0 बिजयशंकर राय की मिशन आदित्य एल-1 की लांचिंग में अहम भूमिका से क्षेत्र ही नहीं जनपद को एक बार फिर से गौरवान्वित महसूस कराया है।

- Advertisement -

सम्बंधित ख़बरें

ताज़ा ख़बरें

राष्ट्रिय