बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं है. ऐसा ही ताजा उदाहरण गाजीपुर जिले से सामने आया है, जहां एक बेटी ने अपने पिता की मौत के बाद न सिर्फ मुखाग्नि दी है. बल्कि अपना मुंडन भी कराया है।
परिवार की जिम्मेदारी और संस्कार सिर्फ बेटे ही नहीं बल्कि बेटियां भी निभाती है और ऐसा ही संस्कार गाजीपुर के जमानिया की एक बेटी ने अपने पिता की मौत के बाद निभाया है. आईटीबीपी में तैनात सब इंस्पेक्टर गरिमा सिंह जमानिया तहसील के तियरी गांव की रहने वाली है. इनके पिता की मौत 2 अक्टूबर को हो गई थी. गरिमा का कोई भी भाई नहीं था, जो पिता को मुखाग्नि दे सके, इसलिए गरीमा ने न सिर्फ अपने पिता को मुखाग्नि दी बल्कि अपना मुंडन भी करवाया है.
गरीमा ने पिंडदान के साथ ही सारे रीति रिवाज करते हुए हिंदू समाज में बेटे बेटियों में जो फर्क किया जाता है, उस समाज को एक नया सबक भी दिया है कि बेटियां भी बेटे के द्वारा किए जाने वाले कर्मकांड को कर सकती हैं. भारतीय संस्कारों में बेटे को पिता की चिता को आग देने का अधिकार है, लेकिन बदलते परिवेश में अब बेटी भी समानता का अधिकार रखती है. तियरी गांव निवासी आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर गरिमा ने अपने पिता के निधन पर उन्हें मुखाग्नि देकर एक बार फिर साबित किया है कि बेटिया किसी मायने में बेटो से कम नहीं है.
बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि-
जानकारी के अनुसार तियरी गांव निवासी किसान विजयी यादव (70) बीते कई सप्ताह से बीमार चल रहे थे. जिनका इलाज वाराणसी में चल रहा था. 2 अक्टूबर को इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था, जिसके बाद शव पैतृक गांव तियरी पहुंचा, जहां से शव लेकर बड़ी संख्या में गांव वाले कस्बा बाजार स्थित बलुआ शमशान घाट पर पहुंचे थे. विजयी यादव का कोई बेटा नहीं था. जिस पर उनके अंतिम संस्कार को लेकर घर पर चर्चा हुई, लेकिन उनकी छोटी बेटी आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर गरीमा ने मुखाग्नि देने की बात कही.
बेटी ने मुंडवाया सिर-
समाज के लोगों ने भी इस बात का समर्थन किया. इसके साथ ही गरिमा ने अपने पिता को कंधा देने के बाद विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार किया, जिसके लिए उसने अपने सिर भी मुंडवाया. जिसको लेकर अब क्षेत्र में काफी चर्चा हो रही है. वही एक दिन पूर्व कोतवाली क्षेत्र के तियरी गांव में पिता के निधन के बाद गरिमा ने चिता को आग देने के साथ ही निधन के बाद होने वाले रीति रिवाज को निभा रही है. जो चर्चा का विषय बना हुआ है.
बेटे का फर्ज पूरा कर रही बेटी-
गरिमा अपने पिता के निधन के बाद प्रतिदिन मृत्यु संस्कार के तहत किए जाने वाले कर्तव्य के तहत प्रतिदिन सुबह और शाम पीपल के पेड़ के पास जाकर जल देने के साथ ही गरुड़ पुराण सुनने और अन्य धार्मिक रीति रिवाज को भी निभा रही है. भले ही वह अपनी पिता की बेटी है, लेकिन अपने इस कर्तव्य के चलते बेटे का फर्ज पूरा कर अन्य कई लोगों को भी एक नसीहत देने का काम किया है, जो बेटोके लिए लगातार जनसंख्या वृद्धि करते जा रहे हैं और बेटियों को दूसरी नजर से भी देख रहे हैं.