सेवराई। दो राज्यों की भूमि को सिंचित करने वाली कर्मनाशा नदी ने आंचल क्या समेटा, किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। नदी का आकार सिकुड़ रहा है, जिससे किनारे के खेत खलिहान भी सिंचाई को तरस रहे हैं। मजबूरन किसानों को पानी खरीदकर सिंचाई करनी पड़ रही है। वहीं, क्षेत्र में लगातार गिरते भू-गर्भ जलस्तर से पेयजल संकट भी विकराल रूप ले रहा है।
गंगा की सहायक नदी की पहचान रखने वाली कर्मनाशा नदी में जलस्तर बढ़े, इसके लिए किसानों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों तक शिकायतें कीं, लेकिन उनकी पानी की समस्या का समाधान नहीं हो सका। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण दोनों राज्यों के फैक्ट्रियों से निकलने वाली केमिकल भी नदी में प्रवाहित हो रही है, जिसका खामियाजा क्षेत्र के ग्रामीणों को बीमारियों के साथ ही जल संकट के रूप में चुकाना पड़ रहा है। शासन के निर्देश पर जल संरक्षण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जबकि कर्मनाशा नदी में जल संकट विकराल रूप ले रहा है। किसानों का कहना है कि कर्मनाशा नदी से ही क्षेत्रवासियों को सिंचाई के लिए पानी मिलता था, इसके साथ ही पशुओं के प्यास बुझाने के लिए यह एक बड़ा माध्यम था।
यहां बहती है कर्मनाशा नदी:-
कर्मनाशा नदी कैमूर की पहाड़ी से निकली है। अपने विस्तार में यह सूबे के सोनभद्र, चंदौली से गुजरती है। 192 किलोमीटर लंबी कर्मनाशा नदी जनपद के बारा गांव के पास गंगा में विलीन हो जाती है। यही नदी यूपी और बिहार को विभाजित भी करती है
Ghazipur news: कर्मनाशा नदी का सिकुड़ा आकार,सिंचाई के लिए तरस रहे किसान
By Rahul Patel
On: Sunday, May 12, 2024 5:01 PM

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