
गाजीपुर में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल ने समाज के सामने अद्भुत और प्रेरक मिसाल पेश की है। जेल सुरक्षा में तैनात कांस्टेबल अनिल कुमार ने अपनी ड्यूटी से आगे बढ़कर उन गरीब बच्चों की जिंदगी बदलने की पहल शुरू की, जो स्कूल जाने की उम्र में कचरा बीनने को मजबूर थे।
मामला देवकली ब्लॉक के मऊपारा प्राथमिक विद्यालय का है, जहां पहाड़पुर गांव के करीब एक दर्जन बच्चे शिक्षा से दूर होकर कचरा बीनने का काम करते थे। विद्यालय में इन बच्चों का नामांकन तो हो चुका था, लेकिन इन्हें स्कूल लाने का प्रयास नहीं हुआ था। कुछ समय पहले जब यह जानकारी प्रधानाचार्य के माध्यम से कांस्टेबल अनिल तक पहुंची, तो उन्होंने तुरंत बच्चों के परिवारों से संपर्क किया।
अनिल ने परिजनों को अपनी गरीबी से उठकर कांस्टेबल बनने की कहानी सुनाई और शिक्षा के महत्व को समझाया। उनके प्रेरक शब्दों का असर यह हुआ कि परिजन अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए राजी हो गए।
इसके बाद कांस्टेबल अनिल खुद गांव पहुंचे और कचरा बीन रहे बच्चों को बुलाकर उन्हें स्कूल जाने के लिए मोटिवेट किया। बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने उन्हें पेंसिल, कॉपी और चॉकलेट भी दीं और उन्हें स्वयं स्कूल छोड़ने पहुंचे। वहाँ जाकर उन्होंने बच्चों की अन्य छात्रों से दोस्ती करवाई और कक्षा में बैठाकर पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
इस सराहनीय पहल का परिणाम यह हुआ कि पिछले एक सप्ताह से सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाने लगे हैं और कचरा बीनने का कार्य पूरी तरह छोड़ दिया है।
कांस्टेबल अनिल अपने छोटे से प्रयास से 10–12 बच्चों की जिंदगी में उजाला लाने पर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
यह कदम न केवल प्रशासन बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गया है।







