वाराणसी:- सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य को शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव अपने भक्तों के जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करते हैं। बराईं उमरहां में चल रहे अलौकिक ज्ञान यज्ञ अनुष्ठान के प्रथम दिन सोमवार को गणेश दत्त महाराज ने यह भी कहा कि सावन में यदि कोई व्यक्ति विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा-उपासना करता है, तो भगवान शिव उसके सभी प्रकार के कष्ट और चिंताओं को दूर कर देते है। इस महीने में शिवलिंग की पूजा करने का विधान है, क्योंकि लिंग सृष्टि का आधार है और शिव विश्व कल्याण के देवता हैं।
सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते है। इसलिए सावन में शिव-शक्ति की साधना सर्व कल्याणकारी एवं सर्व मंगलकारी होती है। उन्होंने रुद्राभिषेक के महात्म्य को बताते हुए कहा कि मन, कर्म तथा वाणी से परम पवित्र तथा सभी प्रकार की आसक्तियों से रहित होकर भगवान शूलपाणि की प्रसन्नता के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए। ताकि भगवान शिव की कृपा सदा आप पर बनी रहे। शिव का पूजन और अभिषेक करने से जाने-अंजाने होने वाले पापों से भी शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है।
शिवलिंग पर रूद्राभिषेक करने से होते हैं यह लाभ- महाराज जी ने बताया कि शिवलिंग पर रूद्राभिषेक करने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं। जल से रुद्राभिषेक करने से जहां वृष्टि होती है, वहीं कुशा जल से रुद्राभिषेक करने पर रोग, शोक, दुख एवं दर्दों से छुटकारा मिलता है। दही से रुद्राभिषेक करने से पशुधन, वाहन एवं भवन की प्राप्ति होती है। मधु युक्त जल से रुद्राभिषेक करने पर धन में मनचाही वृद्धि होती है, पावन तीर्थों के जल से रुद्राभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र युक्त जल से रुद्राभिषेक करने पर बीमारियों का निवारण होता है।
भगवान शिव को दूध और शक्कर मिश्रित जल से रुद्राभिषेक करने पर सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है। देसी घी से रुद्राभिषेक करने से वंश का विस्तार होता है। सरसों के तेल से महारुद्र का अभिषेक करने पर रोगों और शत्रुओं का नाश होता है, शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से कष्टों, क्लेशों एवं पापों का शमन होता है।
ज्ञान यज्ञ अनुष्ठान के तीसरे दिन विभिन्न अभिषेकों से तृप्त हुए भगवान शिव। भगवान शिव के अभिषेक में प्रखंड विद्वानों के मुखारबिंद से किए जा रहे मंत्रोचारण के बीच जैराम मिश्रा जी ने भगवान शिव का जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक और भष्माभिषेक किया। वहीं वैदिक मंत्रों के उच्चारण और शिव भक्तों के जयकारों के बीच तिवारी जी ने भगवान आशुतोष को बिल्व पत्र, बिल्व फल, धतूरा और पुष्प अर्पित किए। इसके बाद शहद, दूध, घी, दही और विंध्याचल से लाए गए गंगाजल से भगवान आशुतोष का अभिषेक कर समस्त भक्तजनों के लिए सुख, शांति एवं खुशहाली की कामना की। ज्ञान यज्ञ अनुष्ठान आयोजक श्री जैराम मिश्रा ने बताया कि अनुष्ठान के प्रथम दिन श्री गणेश दत्त जी महाराज,ओम दत्त जी महाराज, सत्यम जी महाराज , रंजीत जी महाराज कृपासिंधु जी महाराज, हिमांशु अन्य भक्तगण मौजूद रहे।