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Ghazipur news: मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन की फीस 400, डॉक्टर ने मांगा ऑपरेशन के डेढ़ लाख

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गाजीपुर। डॉक्टर जिन्हें धरती का भगवान कहा जाता है और इस भगवान को अपनी चिकित्सा सुविधा देने की एवज में शासन की तरफ से लाखों रुपए महीने का वेतन दिया जाता है। ताकि उनके रहन-सहन और ऐसो आराम में कोई कमी ना आए। बावजूद इसके डॉक्टर आज भी मरीज से वसूली करने में पीछे नहीं रह रहे हैं। ऐसा ही मामला गाजीपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज का आया है। जहां पर एक वृद्ध महिला की सर्जरी के लिए डेढ़ लाख रुपए की मांग की गई। इतना ही नहीं उस महिला को दो दिनों तक मेडिकल कॉलेज में भी एडमिट किया गया । वहीं अब महिला के परिजन इस मामले को लेकर कॉलेज के प्रिंसिपल से शिकायत किये है।

राजकीय मेडिकल कॉलेज स्थित जिला अस्पताल में मरिज मंगलावती जायसवाल पत्नी शशि भूषण जायसवाल जिनकी उम्र करीब 85 वर्ष है। वह काशीराम आवासीय कॉलोनी बड़ी बाग गाजीपुर में रहती हैं और उनके दाहिने कूल्हे में कुछ दिक्कत आ गई थी। जिसके लिए उन्हें जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया था। जहां पर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ वैभव सिंह के द्वारा उन्हें देखा गया और कूल्हे के इलाज के लिए ऑपरेशन की बात कही गई। मरीज इसके लिए दो दिन तक मेडिकल कॉलेज के जिला अस्पताल में भर्ती भी किया गया। इस दौरान डॉ वैभव सिंह के द्वारा डेढ़ लाख रुपए आपरेशन हेतु डिमांड की गई। जब मरीज के परिजनों के द्वारा इतनी भारी भरकम रकम देने में असमर्थता जाहिर की गई। तब उसे घटाकर 85000 पर ऑपरेशन करने को राजी हुए। इन्ही सब बातों की शिकायत मरीज के परिजन और कुछ समाजसेवी संगठनों के लोगों के द्वारा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आनंद मिश्रा से बीते गुरुवार को लिखित रूप से शिकायत किया गया।

समाजसेवी संगठन के अजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि महिला बेहद ही गरीब परिवार से है और जब इसकी जानकारी उनके लोगों को हुई तो इस संबंध में उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से लिखित रूप में शिकायत किया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन में जिस प्लेट की जरूरत होती है वह प्लेट 10 से 20 हजार में बाजार में मिलती है। लेकिन इसके लिए मेडिकल कॉलेज के ऑर्थो स्पेशलिस्ट डॉ वैभव सिंह के द्वारा डेढ़ लाख रुपए की डिमांड की गई है।

बताते चले की 11 महीना पहले भी जिला अस्पताल में ही एक और मामला आया था जब एक मरीज ऑर्थो सर्जन डॉ रजत सिंह से ऑपरेशन कराना चाह रहा था लेकिन डॉ वैभव उस मरीज का खुद ऑपरेशन करना चाह रहे थे। मरीज और उनके परिजन के द्वारा नहीं कराने पर मरीज को काफी उल्टा सीधा बोला गया था जिसका सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हुआ था। तब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने उक्त मामले में कार्रवाई करते हुए डॉ रजत सिंह से ओपीडी का काम लेना बंद कर दिए थे। जबकि शासनादेश के अनुसार सभी डॉक्टरों से ओपीडी करा कर मरीजों को राहत पहुंचाना होता है।
इस मामले में डॉ रजत सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनसे पिछले 11 महीने से ओपीडी या सर्जरी का काम नहीं लिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दो महीने से प्रत्येक बुधवार को छोटे बच्चों के टेढ़े पंजे को सीधा कर ऑपरेशन करने का जो कैंप लगता है सिर्फ उसमें काम लिया जा रहा है।
वही इस पूरे मामले पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आनंद मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस तरह की शिकायत उन्हें गुरुवार को मिला है। जिसके लिए उन्होंने एक जांच कमेटी बैठा दिया है और उस कमेटी के द्वारा इस मामले में जो भी रिपोर्ट दिया जाएगा उस रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि मेडिकल कॉलेज में जो भी इलाज है वह निशुल्क है। हालांकि ऑपरेशन के लिए ₹400 शासन के द्वारा फीस निर्धारित की गई है जो मरीज के परिजनों के द्वारा देय होता है। उन्होंने बताया कि कूल्हे के ऑपरेशन के लिए जो भी सर्जिकल सामान लगता है वह मरीज के परिजनों के द्वारा खरीदारी कर उपलब्ध कराना होता है। उसके बाद ही डॉक्टर के द्वारा उनका ऑपरेशन किया जाता है। ऐसे में उन सर्जरी सामानों की कीमत कितना भी हो सकता है।

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