spot_img
22 C
New York
spot_img

ब्लैक राइस किसान पंचायत में पूर्व विधायक मनोज ने भरी हुंकार, कहा – नहीं हुआ भुगतान तो दर्ज कराऊंगा मुकदमा

WHATSAPP CHANNEL JOIN BUTTON VC KHABAR

Published:

spot_img
- Advertisement -

किसानों को संबोधित करते पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू

Chandauli news : समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू बहुप्रतिष्ठित काला धान के मुद्दे पर शुक्रवार को मुखर नजर आए. इस दौरान उन्होंने किसानों के साथ नवीन मंडी समिति में बैठक की और उनकी समस्याओं को एक-एक कर सुना. साथ ही उन्होंने काला धान समिति के महासचिव वीरेंद्र सिंह से काला धान के सापेक्ष किसानों को होने वाले भुगतान में आ रही दिक्कतों को जाना. इस दौरान किसानों के 400 कुंतल धान की बिक्री किसानों को जानकारी के बिना किए जाने की बात सामने आई. लेकिन 2 साल बाद भी किसानों को फूटी कौड़ी नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने किसानों की समस्याओं से संबंधित एक मांग पत्र तैयार कराकर एसडीएम सदर को सौंपा.साथ ही भुगतान के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया.

किसानों पंचायत के दौरान मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि काला धान की पहचान को जिला प्रशासन, शासन ने चंदौली पहचान से जोड़कर इसे देश ही नहीं विश्व पटल पर ख्याति प्राप्त कराने का काम किया. एक जनपद, एक उत्पाद योजना के तहत जिले के अधिकारियों ने चंदौली के किसानों को प्रेरित करके इसकी खेती को अपनाने का आह्वान किया था. अफसरों का यह तर्क था कि इसकी खेती अपनाने से किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी. इन्हीं उम्मीदों व आकांक्षाओं के साथ आकांक्षी जनपद चंदौली के किसानों ने काला धान की खेती की.लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि काला धान की फसल सिवान से कटकर खलिहान तो पहुंची, लेकिन बड़े-बड़े दावों के विपरीत जिला प्रशासन व शासन ने इसकी खरीद करने में हाथ खड़े कर दिए.

पूर्व विधायक मनोज सिंह ने बताया कि लम्बे समय तक 1200 कुंतल काला धान मंडी के गोदाम में पड़ा रहा. लेकिन इस बीच किसानों को सूचना दिए बगैर उसमें से 400 कुंतल धान को बेच दिया गया है, लेकिन आजतक किसानों को एक पैसे का भुगतान नहीं हुआ. लिहाजा एक सप्ताह के अंदर एक रेसियो निर्धारित कर किसानों का भुगतान किया जाए.

इसके अलावा जो काला धान बेचने से रह गया है उसे एक माह के अंदर खरीद करना सुनिश्चित किया जाए. मांग किया कि काला धान को सामान्य धान की तरह क्रय केन्द्रों के जरिए खरीद की जाए. साथ ही किसानों के धान की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित की जाए और उसका कड़ाई के साथ पालन हो, क्योंकि मामला अन्नदाताओं से जुड़ा है.

- Advertisement -
WHATSAPP CHANNEL JOIN BUTTON VC KHABAR

सम्बंधित ख़बरें

ताज़ा ख़बरें

राष्ट्रिय