spot_img
22 C
New York
spot_img

Ghazipur news: हिमांशु राय के नेतृत्व में महाशिवरात्रि के अवसर पर कारो में जय बजरंग जन सेवा ट्रस्ट द्वारा 20 से 25 हजार लोगों को किया गया प्रसाद वितरण

WHATSAPP CHANNEL JOIN BUTTON VC KHABAR

Published:

spot_img
- Advertisement -

रिपोर्ट कृष्ण कुमार मिश्रा



*गाजीपुर/ करीमुद्दीनपुर* आपको बताते चले की जय बजरंग जनसेवा ट्रस्ट द्वारा महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी लगभग 20 से 25 हजार शिव भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कराया गया। कार्यक्रम के आयोजक श्री हिमांशु राय कहां की जय बजरंग जन सेवा ट्रस्ट आए प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी आए हुए शिव भक्त को प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही उनके देखरेख में हमारे सारे कार्यकर्ता एकजुट होकर शिव भक्त की सेवा कर रहे हैं श्री राय ने कहा कि यहां की जनगण के देवाधिदेव शिव ने यहीं भस्म किया था कामदेव को
आध्यात्म और संस्कृति की विरासत है कामेश्वर नाथ धाम
जन गण मन के आराध्य भगवान शिव सभी के लिए सहज उपलब्धता और समाज के आखरी छोर पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सिर्फ कल्याण की कामना यही शिव
कारो जनपद बलिया का है । रामायण काल से पूर्व में इस
है, किरात भोल जैसे आदिवासी एवं जनजाति से लेकर कुलीन एवम अभिजात्य वर्ग तक अनपढ़ गंचार से लेकर ज्ञानी अज्ञानी तक सांसारिक मोहमाया में फंसे लोगो से लेकर उपस्थियों, योगियों, निर्धन, फक्कड़ों, साधन सम्पन्न सभी तबके के आराध्य देव है भगवान शिव, भारत वर्ष में अन्य देवी देवताओं के मन्दिरों की तुलना में शिव मन्दिर सर्वाधिक है। हर गली मुहल्ले गांव देहात घाट अखाड़े बगीचे पर्वत नदी जलाशय के किनारे यहां तक को चियाचान जंगलों में भी शिवलिंग के दर्शन हो जाते है। यह इस बात का साक्ष्य है कि हमारे बृजनता कर भगवान शिव में अगाध प्रेम भरा है। वस्तुतः इनका आशुतोष होना अवघडदानी होना केवल वेलपत्र या जल चढ़ानें मात्र से ही प्रशन्न होना आदि कुछ ऐसी विशेषताए हैं जो इनको जन गण मन का देव अर्थात् महादेव बनाती है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को मृत्युलोक का देवता माना गया है। शिव को अनादि अनन्त अजन्मां माना गया है। यानि उनका न आरम्भ है न अन्त न उनका जन्म हुआ है न से मृत्यु को प्राप्त होते है। इस तरह से भगवान शिव अवतार न होकर साक्षात ईश्वर है। शिव को साकार वानि मुर्ति रूप एवम निराकार यानि अमूर्त रूप में आराधना की जाती है। शास्त्रों में भगवान शिव का चरित्र कल्याण कारी माना गया है। धार्मिक आस्था से इन शिव नामों का ध्यान मात्र ही शुभ फल देता है। शिव के इन सभी रूप और नामों का स्मरण मात्र ही तर भक्त के सभी दुःख और कष्टों को दूर कर उसकी हर इच्चा और सुख की पूर्ति करने वाला माना गया है इसी का एक रूप गाजीपुर जनपद के आखिरी छोर पर स्थित कामेश्वर नाथ धाम
स्थान पर गंगा सरजू का संगम था और इसी स्थान पर भगवान शिव समाधिस्थ हो तपस्यारत थे। उस समय ता रकासुर नामक दैत्य राज के आतंक से पूरा प्रमाांड व्यथित था। उसके आतंक से मुक्ति का एक ही उपाय था कि किसी तरह से समाधिस्थ शिव में काम भावना का संचार हो और शिव पुत्र कार्तिकेय का जन्म हो जिनके हाथो तारकासुर का वध होना निश्चित था। देवताओं के आग्रह पर देव सेनापति कामदेव समाधिस्थ शिव की साधना भूमि कारो को धरती पर पधारे। सर्वप्रथम कामदेव ने असराओं गंधों के नृत्य गान से भगवान शिव को जगाने का प्रयास किया इसी स्थल पर कामदेव के द्वारा बसंत ऋतु का भी निर्माण किया गया विफल होने पर कामदेव ने आम्र वृक्ष के पत्तों में छिपकर अपने पुष्प चनुष से पंच बाण हर्षण प्रहस्टचेता सम्मोहन प्राहिणों एवम मोहिनी का शिव हृदय में प्रहार कर शिव की समाधि को भंग कर दिया। इस पंच बाण के प्रहार से क्रोचित भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया। तभी से वह आधा जला हुवा आम का पेंड युगों युगों से आज भी प्रमाण के रूप में अपनी जगह पर खड़ा है इस कामेश्वर नाथ का वर्णन बाल्मीकि रामायण के बाल सर्ग के 23 के दस पन्द्रह में मिलता है। जिसमे अयोध्या से बक्सर जाते समय महर्षि विश्वामित्र भगवान राम को बताते है की देखो रघुनंदन यही वह स्थान है जहां तपस्या रत भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था। कन्दयों मूर्ति मानसित्त काम इत्युच्यते बुधैः तपस्यामिः स्थाणु। नियमेन समाहितम्-इस स्थान पर हर काल हर खण्ड में ऋषि मुनी प्रत्यक्ष एवम अप्रत्यक्ष रूप से साधना रत रहते है। इस स्थान पर भगवान राम अनुज लक्ष्मण एवम महर्षि विश्वामित्र के साथ रात्रि विश्राम करने के पश्चात बक्सर गये थे स्कन्द पुराण के अनुसार महर्षि दुवासां ने भी इसी आम के वृक्ष के नीचे तपस्या किया था। महात्मा बुद्ध बोच गया से सारनाथ जाते समय यहां पर रुके थे। इन सांग एवम फाह्यान ने अपने यात्रा वृतांत में यहां का वर्णन किया है। शिव पुराण देवीपुराण स्कंद पुराण पद्मपुराण बाल्मीकि रामायण समेत ढेर सारे ग्रन्थों में कामेश्वर धाम का वर्णन मिलता है। महर्षि वाल्मीकि, गर्ग पराशर अरण्य गालव, भृगु, वशिष्ठ अत्रि, गौतम, आरूणी दुबार्सा कीनाराम आदि ब्राद्य वेत्ता अषि मुनियों से सेवित इस पावन तीर्थ का दर्शन स्पर्श करने वाले नर नारी स्वयं नारायण हो जाते है। मन्दिर के व्यवस्थापक रमाशंकर दास के देख रेख में करोणो रुपए खर्च कर धाम का सुन्दरीकरण किया गया है। सावन मास में लाखो लोग यहा आकर बाचा कामेश्वर नाथ का दर्शन पूजन जलाभिषेक करते है।
शिवरात्रि के दिन याहां पर दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है ।यहां पर इस दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर हिमांशु राय, एच के राय, संपूर्णानंद उपाध्याय, राम मनोहर लोहिया के प्रचारक विजेंद्र सिंह, निदेशक प्रमोद सिंह, विपिन बिहारी सिंह, देवेंद्र सिंह देव ,विजेंद्र बिंद, गौरव राय ,सुनील जायसवाल, अभिषेक राय ,सिद्धार्थ राय ,संजय राय ,राकेश सिंह, अमित पांडे ,इत्यादि लोग सैकड़ो की संख्या में शिव भक्त कार्यकर्ता मौजूद रहे आयोजक हिमांशु राय ने आए हुए सभी शिव भक्त एवं अपने कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत तहे दिल से धन्यवाद दिया@कृष्ण कुमार मिश्रा

- Advertisement -
WHATSAPP CHANNEL JOIN BUTTON VC KHABAR

सम्बंधित ख़बरें

Ghazipur news: दिलदारनगर में हुए जच्चा बच्चा की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में शायका हॉस्पिटल का किया निरीक्षण

सेवराई। तहसील क्षेत्र के दिलदारनगर में हुए जच्चा बच्चा की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आ गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा...

ताज़ा ख़बरें

राष्ट्रिय