सेवराई। (गाजीपुर): अमूमन गर्मी के मौसम में तापमान के साथ ही बच्चों में खसरा (मिजल्स) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डा. रविरंजन कहते हैं, बच्चों के शरीर पर लाल रंग के दाने या फोड़े फुंसी जैसे लक्षण दिखाई दे तो उसे नजर अंदाज न करें। क्योंकि यह खसरा का लक्षण हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में संपर्क करें।
बताया कि बीते वर्ष अप्रैल और मई माह में गर्मी के दौरान क्षेत्र के बारा, खुदरा पथरा आदि गांवों में खसरा के लक्षण वाले बच्चों की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उन इलाकों में सघन रुप से सर्वे करते हुए बच्चों को टीकाकृत किया गया था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी बच्चों को टीका लगवाना जरुरी, नियमित टीकाकरण के दौरान एमआर के पहले एवं दूसरे डोज से वंचित बच्चों को किया जा रहा चिह्नित खसरा से बचाने के लिए पूरे निगरानी रखी जा रही है, ताकि कोई भी बच्चा खसरा के टीके से वंचित न रह पाए। खसरा एक ड्रापलेट इंफेक्शन है, जो नाक, गले, या फेफड़ों से निकलने वाली एयरबोर्न ड्रापलेट के जरिए चार से छह फुट के क्षेत्र में फैलता है, इसलिए इसके मामलों में आइसोलेशन की जरुरत होती है। उन्होंने बताया कि खसरे से संक्रमित बच्चे को पहले तेज बुखार आता है। इसके साथ ही उसके हाथ, पैर और पेट आदि स्थानों पर दाने उभर आते हैं। बच्चे को जरूरत से ज्यादा कमजोरी महसूस होती है। समय पर इलाज न मिलने की दशा में उसे निमोनिया हो सकता है, जिससे उसकी जान भी जा सकती है। ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों में खसरे को लेकर अधिकांश लोग अंधविश्वास में आकर इसे देवी माता का प्रकोप मानते हुए बच्चे को दवा दिलाने से डरते हैं, लेकिन ऐसा करके वह अपने बच्चे की जान खतरे में डालते हैं। उन्होंने बताया कि खसरा से बचाव के लिए पांच साल तक के उम्र से पहले बच्चे को एमआर के दो टीके लगाए जाते हैं। पहला टीका बच्चे के नौ से 12वें महीने के बीच लगाया जाता है। वहीं, इसकी दूसरी खुराक 16 से 24 महीने के बीच दी जाती है। दोनों टीका देने पर बच्चा पूरी तरह संपूर्ण प्रतिरक्षित हो जाता है।
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