Chandauli news : एक तरफ देश की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार गांव के विकास के लिए निरंतर प्रयासरत दिखाई दे रही है. उसके विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, ताकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली जनता को भी विकास के मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. लेकिन भ्रस्ट अधिकारी सरकार के मंसा को पलीता लगा रहे हैं. इसकी बानगी चकिया में देखने को मिली जहां 42 लाख की लागत से बनी सड़क 42 दिन भी नहीं चल सकी.
दरअसल पूरा मामला राईट कर्मनाशा नहर का है, जहाँ एक महीने पहले सिचाई विभाग के खर्च पर नहर के किनारे 42 लाख रुपये की लागत से ठेकेदार के द्वारा बनरासिया पुल से मालदह गाँव तक सड़क का नवीनीकरण किया गया था. सड़क बनाने के एक महीने बाद ही सड़क में ध्वस्त हो गई, और गिट्टी उखड़कर जगह जगह गड्ढे पड़ने लगे.
वजह साफ है की सड़क बनाने के दौरान संबंधित ठेकेदार ने मानकों का ख्याल नहीं रखा. वहीं जिम्मेदार अधिकारी जेई ने जांच के नाम पर खाना पूर्ति करते हुए पास कर दिया. नतीजा ये रहा कि 42 लाख की सड़क 42 दिन भी नहीं चल पाई. और सरकारी धन का बंदरबाट हो गया.