
चंदौली: जहां एक ओर पूरा देश दीपावली की जगमग रौशनी में सराबोर था, वहीं चकिया के तहसीलदार देवेन्द्र यादव ने एक अनुकरणीय पहल से यह सिद्ध कर दिया कि प्रशासनिक जिम्मेदारी केवल कागजी कार्यवाही तक सीमित नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से भी जुड़ी है। जिलाधिकारी चंद्रमोहन गर्ग की प्रेरणा से उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचकर न सिर्फ राहत सामग्री बांटी, बल्कि उनके त्योहार को भी खुशियों से भर दिया।
एक ईमानदार अधिकारी की मानवीय पहल:
तहसीलदार देवेन्द्र यादव, जो अपनी ईमानदार छवि और पारदर्शी कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं, ने इस दीपावली को सिर्फ एक सरकारी दौरा नहीं बनाया। एक मिलनसार सामाजिक व्यक्ति की तरह, वे स्वयं बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में उतरे, प्रभावित परिवारों से सीधे संवाद किया और उनकी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुना। यह कदम दर्शाता है कि उनका प्रशासन केवल नियम-कानूनों तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता के दुःख-दर्द को अपना समझता है।
राहत के साथ मुस्कान भी बांटी:
सोमवार को जब चकिया तहसील की टीम बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुंची, तो वहां सिर्फ सरकारी मदद नहीं पहुंची, बल्कि उम्मीद और स्नेह भी पहुंचा। देवेन्द्र यादव ने बच्चों के साथ खुद दीपावली मनाई, उन्हें नए कपड़े, मिठाइयां और पटाखे वितरित किए। उनके इस स्नेह भरे व्यवहार ने बच्चों के चेहरों पर जो मुस्कान लाई, वह किसी भी सरकारी सहायता से कहीं अधिक मूल्यवान थी। परिजनों की आंखों में झलकी कृतज्ञता इस बात का प्रमाण थी कि यह अधिकारी सिर्फ प्रशासक नहीं, बल्कि एक सच्चा जनसेवक है।
प्रशासन की बेहतर छवि का निर्माण:
तहसीलदार देवेन्द्र यादव का यह कदम शासन-प्रशासन के बीच उनकी अच्छी और संवेदनशील छवि को मजबूती देता है। उनका यह बयान कि “प्रशासन का उद्देश्य सिर्फ राहत देना नहीं, बल्कि लोगों के मन में यह विश्वास जगाना है कि जिला प्रशासन सदैव उनके साथ खड़ा है,” यह दर्शाता है कि वह लोगों के बीच विश्वास और अपनापन स्थापित करने में यकीन रखते हैं।
देवेन्द्र यादव ने विपरीत परिस्थितियों में भी समाज के सबसे वंचित वर्ग के साथ दीपावली की खुशियां साझा कर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की है। उनका यह कार्य न केवल चंदौली प्रशासन को गौरवान्वित करता है, बल्कि पूरे प्रदेश के अधिकारियों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है।









